दो डॉक्टर ने नौकरी छोड़ी, चार रिटायर्ड, दो के तबादले हो गए, 750 बेड के जिला अस्पताल में 102 की जरूरत, 50 ही रह गए

छह माह में यह दूसरा मौका है, जब एक और डॉक्टर ने नौकरी छोड़ दी है। चार डॉक्टर सेवानिवृत्त हो गए हैं और दो तबादला करवाकर चले गए हैं। 750 बेड के जिला अस्पताल में 102 डॉक्टर (स्वीकृत पद) की तुलना में 58 डॉक्टर थे, अब 50 डॉक्टर ही रह गए हैं। मापदंड के तहत 20 बेड पर एक मेडिकल ऑफिसर होना चाहिए। अस्पताल में अभी 22 स्पेशलिस्ट और 28 मेडिकल ऑफिसर है।

मंगलवार काे डाॅ.शशि गुप्ता ने नाैकरी छाेड़ दी है। उन्होंने एक माह का वेतन भी जमा कर दिया है। छह माह में चार डॉक्टर रिटायर्ड हो चुके हैं तथा दो तबादला करवाकर चले गए हैं। आने वाले पांच माह में पांच और सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जनवरी से जून तक 2286 मरीज बढ़े। इसका असर जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है। विभिन्न विभागों की ओपीडी चलाना मुश्किल हो गया है। हड्डी रोग विभाग, क्षय रोग विभाग व कुष्ठ रोग विभाग की ओपीडी में डॉक्टर नहीं हैं। क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ.रजनेश जैन सप्ताह में दो दिन सोमवार व गुरुवार को ही ओपीडी में बैठते हैं।

अस्थि रोग विभाग में डॉक्टर नहीं, कुर्सी खाली।

आईपीएचएस का यह है मापदंड: आईपीएचएस यानी इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के तहत जिला अस्पताल 500 बेड का है तो 68 डॉक्टर होना आवश्यक है। जिला अस्पताल 750 बेड का है, जिसमें उक्त मापदंड के तहत 102 डॉक्टर की आवश्यकता है, जिसके तहत 52 डॉक्टर और चाहिए।

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